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Sunday, February 26, 2012

UP mein chunaav

बहिन जी आयीं हाथी पे सवार
हाथ में LV का बैग, गले में हार
वोट मांग रही हैं जनता से इस बार
पार्क बनाये हमने, प्रदेस में तीन चार

मुलायम आये साइकिल पे लड़खड़ाते
कुछ तो बोले वोह तुतलाते तुतलाते
सपूत को पकड़ा दी है अब उन्होंने कमान
कहते हैं कांग्रेस भाजपा बसपा, सब हैं सामान

बाबा भी पहुंचे परिवार समेत
 बहुत देखे उन्होंने गाँव और खेत
हेलीकाप्टर, बाईक और गाड़ी, सब की कर ली सवारी
आशा में की हाथ पे मोहर लगे इस बारी

भाजपा का भी देख लो अजब खेल
बिलकुल नहीं कोई सुर ताल मेल
अभी भी मंदिर का कर रहे हैं वायदा 
पर जनता मांग रही है उससे कहीं ज्यादा 

चौधरी साहेब ने भी कर दी है एंट्री 
केंद्र में अब बन गए हैं वोह मंत्री
हरित प्रदेश बनायेंगे हैंडपंप की फुहार से
सत्ता में आयेंगे जय किसान की पुकार से

चाहे हाथी हार जाए साइकिल के हाथ
या कमल दिखादे कोई करामात
पर लोग पूछ रहें हैं
कब ख़तम होगी यह काली रात
कब ख़तम होगी यह काली रात

4 comments:

  1. Matlab Uff...what a poem sirji.(claps claps)

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  2. hum ko maloom nigh

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  3. Burbey version 2! Asliyat main :P

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  4. Vote ke baad jab chaukanna rahenge
    hum aur apne mai baap
    tab shayad khatam hogi,
    yeh kaali raat.

    Chaukanna toh hum the per
    aloo pyaaz ki keemat ne banaaye naye jaat paat,
    Aur betiya ki bhi toh laani thi baaraat.
    Biwi boli, pehlo socho Ghar ki baat.

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